साला गरीबी है कि समाप्त ही नही हो रही .
इतिहास के पुस्तकों के अनुसार भारत सन १९४७ को आज़ाद हो गया था . किन्तु प्रश्न यह उठता है कि किसी भी देश को जब गुलामी आज़ादी से आज़ादी मिलती है तो वह देश नई ऊर्जा के साथ आगे बढने की कोशिश करता है और अपने सारे संसाधनों का उपयोग देश के विकास ... के लिए करता है .किन्तु यहाँ एक दम बिपरीत मामला है . यहाँ देश विकास नही नेता और पार्टी विकास कार्यक्रम चलाया गया और सफलता मिलती गई . बहन जी अरब -खरबपति बन गई , लालू ने पशुओं का हिस्सा कहा लिया , कुछ पूर्व और भूतपूर्व नेतायों ने शहीदों का कफ़न तक का पैसा कहा लिया. इस तरह से यह देश आज चाँद पर पहुँच गया . ६ दशक बाद भी आज चुनावी मुद्दा यह होता है कि हमें वोट दो हम गरीबी मिटायेंगे माने गरीबों को मिटायेंगे . और लगातार मिटाते आरहें हैं . यह साला गरीबी है कि समाप्त ही नही हो रही .