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Showing posts from October, 2010

साला गरीबी है कि समाप्त ही नही हो रही .

इतिहास के पुस्तकों के अनुसार भारत सन १९४७ को आज़ाद हो गया था . किन्तु प्रश्न यह उठता है कि किसी भी देश को जब गुलामी आज़ादी से आज़ादी मिलती है तो वह देश नई ऊर्जा के साथ आगे बढने की कोशिश करता है और अपने सारे संसाधनों का उपयोग देश के विकास ... के लिए करता है .किन्तु यहाँ एक दम बिपरीत मामला है . यहाँ देश विकास नही नेता और पार्टी विकास कार्यक्रम चलाया गया और सफलता मिलती गई . बहन जी अरब -खरबपति बन गई , लालू ने पशुओं का हिस्सा कहा  लिया , कुछ पूर्व और भूतपूर्व नेतायों ने शहीदों का कफ़न तक का पैसा कहा लिया. इस तरह से यह देश आज चाँद पर पहुँच गया . ६ दशक बाद भी आज चुनावी मुद्दा यह होता है कि हमें वोट दो हम गरीबी मिटायेंगे माने गरीबों को मिटायेंगे . और लगातार मिटाते आरहें हैं . यह साला गरीबी है कि समाप्त ही नही हो रही .

जय की जय जयकार

गुलज़ार लिखते हैं जय हो किन्तु किसकी जय हो रहमान करें ... जय की जय जयकार दिल्ली के मंच जय हो की धून पर नाचती है शीला गुलज़ार की जय हो को यह कैसा शीला मिला दिल्ली जल मग्न है कलमाड़ी, शीला, मनमोहन, सोनिया आदि -आदि सब एक संग है यह कैसा बदरंग है दिल्ली का कुत्ता कितना भग्यवान है खेल गावं के अपार्टमेन्ट में आजकल सो रहा है उसी दिल्ली में  आदमी सड़क पर और सडक पानी में डूबा हुआ है .

भाग्य तुम्हारा लिख रहा है दिल्ली में बैठे नेता

भाग्य तुम्हारा क्या बतायेगा पिंजरे में बंद तोता भाग्य तुम्हारा लिख रहा है दिल्ली में बैठे नेता

लूट का पदक जीतते रहो.

अब लगता है राजघाट छोड़ कर बापू को फिर से  आना पड़ेगा एक और असहयोग आन्दोलन के लिए लातों के भूत बातों से नही मानते सच है ... गाँधी ने देखा तुम्हे करीब से परख कर दुखी होकर चले गये तुम्हे छोड़कर तुम्हे शर्म न आई अब कहाँ है पीर पराई .यूंही देश को लूटते रहो सबको पीछे छोड़ते रहो खेल न सही लूट का पदक जीतते रहो.

समन्दर की किस्म्मत अच्छी है

समन्दर की किस्म्मत अच्छी है कि उसके दामन में सिर्फ पानी नही नमक भी है यदि - समंदर में सिर्फ पानी होता ... सुमंदर कबका सुख चुका होता नेता -दलाल मिलकर उसका वस्त्र हरण कब का कर चुके होते विशाल समन्दर का पानी किसी छोटे से बोतल में कैद आज बाज़ार में होता.