भुखमरी गांव
केतु यमवती भैंस का एक लौता बछड़ा था . केतु के जन्म के पहले से ही यमवती भैंसी को उसकी पढाई-लिखाई और भविष्य की चिंता होने लगी थी . यमवती का पति और केतु का बाप कालू बड़ा ही लापरवाह और आवारा किस्म का भैंस था यमवती और कालू पहली वार भुखमरी गांव के अमीर चंद के सूखे खेत में मिले थे . दोनों वहां चारा खाने की आस में आये थे . फिर क्या नजरें मिली , दिल धड़का और केतु का जन्म . उधर केतु का जन्म और महंगाई अपने शिखर पर .इन्सान से लेकर जानवरों की रोजमर्या की वस्तुएं आम आदमी और जानवरों के पंहुंच के बाहर थी . यह तो गनीमत हुआ कि केतु बछड़ा , उसकी माँ यमवती और बाप आवारा कालू भैंस कोई भी साबुन ,तेल और गोरे होने का क्रीम का दुरोप्रोयोग नहीं नहीं करता था . वे कीचड़ वाले पानी में नहाते थे . केतु के जन्म के बाद से ही यमवती दूध देने लगी थी . यह केतु और यमवती के लिए एक सौभाग्य था . किउंकि भुखमरी गांव में सिर्फ अमीर चंद ही एक मात्र ऐसा व्यक्ति था जो किसी को सहारा देने में सक्षम था . उसने यमवती को पाल लिया था ,और उसका दूध बेच कर मुनाफा कमाता था . बदले में उनको सुखी घांस और एक तबेला मिला था खाने और सर छुपाने के लिए ...