मैं तो बस देखता रहा तुम्हारा चेहरा तुम्हे पढता रहा पता चला तुम्हे क्या पढ़ा मैंने तुम्हारे चेहरे पर ? कुछ वक्त दो मैं खोज रहा हूँ भाषा तुम्हे प्रेम पत्र लिखूंगा ....
तुम्हारे पक्ष में मैंने नही की बात यही गुनाह किया है दरअसल मैंने कुछ देर से पहचाना तुम्हारा चेहरा नकाब उतारने में कुछ वक्त लगा है मुझे इसलिए नही दोहराया मैंने अपनी गलती को तुम्हे अफ़सोस है मेरी बेवफाई पर पर मुझे संतोष है तुम्हारे साथ -साथ मैंने पहचान लिया है खुद को ....