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Showing posts from November, 2010

धूप पिघल रहा है

धूप पिघल रही  है और -- आदमी सूख रहा है जलकर राजा लूट रहा मंत्री सो रहा है वकील जाग रहे हैं विपक्ष नाच रहा है सड़क पर कुत्ते भौंक  रहे  हैं "मैं "  नासमझ  दर्शक की तरह सब कुछ खामोश देख रहा हूं

ख़ामोशी की मज़बूरी

१६ नवंबर को सर्वच्य न्यायालय ने दूरसंचार घोटाले मामले की सुनवाई करते हुए देश के प्रधानमंत्री से पूछा कि वे इस मामले में १६ महीने तक खामोश किउन रहे ?  मनमोहन सिंह देश के पहले प्रधानमंत्री बन गए  जिनसे न्यायालय ने यह सवाल किया है . यह उनके लिए  शायद गौरव कि बात  है . प्रश्न यह है कि प्रधानमंत्री बनाने के बाद से सरदार मनमोहन सिंह जी कितनी बार कुछ बोले हैं ?  और जब - जब उन्होंने  कुछ बोला है  वह उनकी अपनी बोली थी क्या ?  हस्थिनापुर के चक्रवर्ती सम्राट धृतराष्ट्र  इतने मजबूर थे कि अपने कूल वधु  द्रौपदी  के वस्त्र हरण के समय भी चुप रहे . पुत्र प्रेम और सत्ता पर बने रहने की लालसा ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया था . गंगा पुत्र भीष्म इतने मजबूर थे कि न चाहते हुए भी उन्हें हमेशा कपटी कौरवों का साथ देना पड़ा विदुर और धृतराष्ट्र के पिता एक थे किन्तु विदुर की माँ एक दासी थीं . विदुर ने हमेशा विवेकपूर्ण सलाह दिये  किन्तु  सत्ता पर बने रहने के लिए  महाराज ने उन पर  कभी ईमानदारी से अमल नही किया .    वर्तमान परिपेक्ष में भी हालात वही है . राम नाम जपने वाली पार्टी के लिए यह एक अच्छा मौका था किन्तु