धूप पिघल रहा है
धूप पिघल रही है
और --
आदमी सूख रहा है जलकर
राजा लूट रहा
मंत्री सो रहा है
वकील जाग रहे हैं
विपक्ष नाच रहा है
सड़क पर कुत्ते भौंक रहे हैं
"मैं " नासमझ दर्शक की तरह
सब कुछ खामोश देख रहा हूं
और --
आदमी सूख रहा है जलकर
राजा लूट रहा
मंत्री सो रहा है
वकील जाग रहे हैं
विपक्ष नाच रहा है
सड़क पर कुत्ते भौंक रहे हैं
"मैं " नासमझ दर्शक की तरह
सब कुछ खामोश देख रहा हूं
आपके जीवन में बारबार खुशियों का भानु उदय हो ।
ReplyDeleteनववर्ष 2011 बन्धुवर, ऐसा मंगलमय हो ।
very very happy NEW YEAR 2011
आपको नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें |
satguru-satykikhoj.blogspot.com
भावपूर्ण कविता....
ReplyDeleteThank u all
ReplyDeleteचाक्षुस बिम्ब......भवपूर्ण-प्रभवपूर्ण रचना...
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