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Showing posts from April, 2010

भुखमरी गांव

केतु यमवती भैंस का एक लौता बछड़ा था . केतु के जन्म के पहले से ही यमवती भैंसी को उसकी पढाई-लिखाई और भविष्य की चिंता होने लगी थी . यमवती का पति और केतु का बाप कालू बड़ा ही लापरवाह और आवारा किस्म का भैंस था यमवती और कालू पहली वार भुखमरी गांव के अमीर चंद के सूखे खेत में मिले थे . दोनों वहां चारा खाने की आस में आये थे . फिर क्या नजरें मिली , दिल धड़का और केतु का जन्म . उधर केतु का जन्म और महंगाई अपने शिखर पर .इन्सान से लेकर जानवरों की रोजमर्या की वस्तुएं आम आदमी और जानवरों के पंहुंच के बाहर थी . यह तो गनीमत हुआ कि केतु बछड़ा , उसकी माँ यमवती और बाप आवारा कालू भैंस कोई भी साबुन ,तेल और गोरे होने का क्रीम का दुरोप्रोयोग नहीं नहीं करता था . वे कीचड़ वाले पानी में नहाते थे . केतु के जन्म के बाद से ही यमवती दूध देने लगी थी . यह केतु और यमवती के लिए एक सौभाग्य था . किउंकि भुखमरी गांव में सिर्फ अमीर चंद ही एक मात्र ऐसा व्यक्ति था जो किसी को सहारा देने में सक्षम था . उसने यमवती को पाल लिया था ,और उसका दूध बेच कर मुनाफा कमाता था . बदले में उनको सुखी घांस और एक तबेला मिला था खाने और सर छुपाने के लिए

बंटवारा

वर्तमान भारत में सबको अपने लिए एक राज्य चाहिए . समस्या राज्य लेने या देने में नहीं , अपितु समस्या यह है कि राज्य क मांग करने वाले जिन मुद्दों के आधार पर नए राज्य कि मांग कर रहे हैं , क्या वे उस नए राज्य को वह सब कुछ दे पायेंगे जो पहले के लोग नहीं दे पाए ? और इसकी गारंटी क्या है? यदि नए राज्य कि मांग करने वाले अपनी कही हुई वादों को पूरी करने की लिखित गारंटी देने को तैयार हो तो उन्हें तुरंत नए राज्य दे देने चाहिए . किन्तु मेरा यह मानना है कि यदि यह लोग अपने वादे पूरे नहीं करते तो उसके लिए उन्हें क्या सजा मिलेगी यह भी तय होनी चाहिए . आज़ादी के बाद से अब तक सभी राजनैतिक दलों ने जनता को सिर्फ मुर्ख बनाकर लूटा है और अपनी तिजोरियां भरी है . गाँधी जी के नाम और उनकी आदर्शों की बात करने वाली पार्टी आर्थिक रूप से असहाय नज़र आती है जब बापू की अंतिम निशानिया दक्षिण अफ्रीका में नीलाम होती है , यह तो भला हो उस व्यापारी विजय मालिया का जिन्होंने बापू की चीजो को भारत के लिए खरीद लिया. कभी नदी का जल तो कभी हिंदी बनाम मराठी कोई न कोई एक मुद्दा हमेशा रहता है इनके पास . गरीबी , कुपोषण , भ्रस्टाचार, अशिक्

नोटों से बनी माला

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती जी की एक तस्वीर प्रकाशित है अंग्रेजी दैनिक " द टाइम्स आफ इंडिया " में . इस तस्वीर में उन्हें उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनोऊ में आयोजित एक रैली में हजार रुपए के नोटों से बनी एक बहुत विशाल माला पहनाया जा रहा है . अनुमान लगाया गया कि इस माला में दो से पांच करोड़ रुपए होंगे . जिस देश में लोग आज भी सडको पर सोते हैं , कुपोषण से बच्चे मरते हैं उस देश में नेता प्रथम श्रेणी में हवाई यात्रा करते हैं और करोड़ों रुपए कि नोटों से बनी माला पहनते हैं. जिस जनता के समक्ष यह लोग माला पहनते हैं उनके पास धागा पहनने के लिए भी पैसे नहीं है . देश का कितना पैसा विदेशी बैंकों में है यह कह पाना कठिन काम है, किन्तु देश के नेताओं के पास कितना पैसा है यह हम जानने लगे हैं. यह वही नेता है जो आज़ादी के बाद से भारतीय जनता को मुर्ख बना कर राज भोग का आनंद ले रहे हैं . यह अपने करोड़ों रुपए को देश का रूपया नही मानते . मंदी के दौर का भ्रम फैला कर करोडो रुपए से स्मारकों और पार्कों का निर्माण किया जा रहा है , माला पहना जा रहा है , गुमराह करने के लिए महिला आरक्षण बिल पर जनता को भटकाय