पहाड़ की माँ ---------------

सीता पांच बच्चों की माँ है पार चुकी है पैंतालीस वर्ष जीवन के दार्जिलिंग स्टेशन पर करती है कुली का काम अपने बच्चों के भविष्य के लिए | सिर पर उठाती है भद्र लोगों का भारी -भारी सामान इस भारी कमरतोड़ महंगाई में वह मांगती है अपनी मेहनत की कमाई बाबुलोग करते उससे मोलभाव कईबार हड़तालों में मार लेती है पेट की भूख | योजना आयोग के 'आहलुवालिया' नही जानता है इस माँ को पर वह नही करती समझौता अपने स्वाभिमान से वह सिर्फ मेहनत की कमाई चाहती है मेरा सलाम पहाड़ की इस माँ को ................. चित्र -गूगल से साभार