kitna sach, nahi maloom! magar sukoon mila dil ko ye panktiyan padhkar, mujhe bhi lagta hai Pitrsatta ko pusht karne ke liye hi, 'Seeta' k bahane Striyon k samaksh tyaag ke aadarsh paida kiye gaye hain, granthon-kathaon ke madhyam se.
करो धरती पर सजदा, कुछ इस तरह से कि , गूंजे आसमां... और उतर आये मसीहा जमीं पर पूछने तुम्हारी ख्वाइश वैसे तो मालूम है आता नही कोई अपना भी पूछने एक बूँद पानी के लिए बस गिनते हैं हर साँस को अंत के लिए फिर भी बडो का कहा याद है बड़ी शक्ति है दुआयों में तुम्हे आश्वस्त कर देना चाहता हूँ मैं नही चाहता कुछ भी बस हट जाये ये उदासी के बादल और मिल जाये बिछड़े हुए लोग उस असहाय अंधी बूढी माँ का बेटा ....
अर्चना कुमारी की एक बहुत सुंदर कविता --------------------------------------------- नंगापन...... विचारों में हो या देह की चुभता है आँखों को जरुरत भर आवरण सलज्जता है मर्यादा की प्रेयसी के चन्द्रमुख पर धूएँ के छल्ले उड़ाना शोखी होती होगी माँ के सामने याद आती है पैकेट पर लिखी चेतावनी बड़ी कोशिश की जाती है कि शराब का भभका बच्चे न पहचाने कि बच्चे मान ले बुरी चीज है ये भी कि बना रहे अच्छे बुरे का फर्क रात-बिरात नींद की गहराईयों में चूमकर बन्द पलकें पुरुष हो जाता है मर्यादित पति बात-बेबात पर खुश होकर थमाना मोगरे के फूल अंजुरी में प्रेयसी के प्रेयस के आह्लाद का संयम है सरे-बाजार नाच लेना बारात की शोभा हो सकती है लेकिन इंसान की नहीं अनावरण को आधुनिकता कहते लोग थोड़े कच्चे हैं कि उद्दण्डता,उच्छृंखलता और स्वच्छन्दता से कहीं विशेष अर्थ है स्वतंत्रता का आधुनिक होते-होते जानवर होने से कहीं भला है कि तथ्य से भिज्ञ होकर तत्व का मान रख लें इंसान हो लें दिन की मर्यादा रात ही तो है और धरती का आसमान ॥ - अर्चना क
धूप पिघल रही है और -- आदमी सूख रहा है जलकर राजा लूट रहा मंत्री सो रहा है वकील जाग रहे हैं विपक्ष नाच रहा है सड़क पर कुत्ते भौंक रहे हैं "मैं " नासमझ दर्शक की तरह सब कुछ खामोश देख रहा हूं
sorry!!!!!!!!!!!but i really wish to read it, can u translate it into hindi or english.
ReplyDeleteस्वर्ण मृग
Deleteउसने कभी नही मांगी
स्वर्ण मृग
नही था कोई राम उसके साथ
धरती भी नही फटी थी
नही किया था किसी रावण ने उसका हरण
उसे तो जला कर मारा
उसके अपने लोगों ने..
WAAAAAAH!
ReplyDeletekitna sach, nahi maloom!
magar sukoon mila dil ko ye panktiyan padhkar, mujhe bhi lagta hai Pitrsatta ko pusht karne ke liye hi, 'Seeta' k bahane Striyon k samaksh tyaag ke aadarsh paida kiye gaye hain, granthon-kathaon ke madhyam se.