সোনার হরিন


সে যে কখনো বলেনি 
সোনার হরিনের কথা 
ছিলনা তার কাছে কোনো রাম 
ফাটেনি কোনো পৃথিবীর বুক 
রাবন করেনি তার হরণ 

জালিয়ে মেরেছে তাকে 
তার নিজের জন .....

Comments

  1. sorry!!!!!!!!!!!but i really wish to read it, can u translate it into hindi or english.

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्वर्ण मृग

      उसने कभी नही मांगी
      स्वर्ण मृग
      नही था कोई राम उसके साथ
      धरती भी नही फटी थी
      नही किया था किसी रावण ने उसका हरण
      उसे तो जला कर मारा
      उसके अपने लोगों ने..

      Delete
  2. WAAAAAAH!

    kitna sach, nahi maloom!
    magar sukoon mila dil ko ye panktiyan padhkar, mujhe bhi lagta hai Pitrsatta ko pusht karne ke liye hi, 'Seeta' k bahane Striyon k samaksh tyaag ke aadarsh paida kiye gaye hain, granthon-kathaon ke madhyam se.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

सजदा, कुछ इस तरह से

दिन की मर्यादा रात ही तो है

धूप पिघल रहा है