सत्ता के लिए शतरंज चल रहा है
भूखे का पेट जल रहा है
दंगों की आग में देखो
मुल्क जल रहा है
ऐसे ही नेताजी का घर चल रहा है
उसका विरोध हो रहा है
इनका समर्थन हो रहा है
सत्ता के लिए शतरंज चल रहा है
मंहगाई बढ़ रही है
इसे रोकने के लिए
आयात हो रहा है
निर्यात हो रहा है
बस ,
आदमी बिक रहा है
आदमी बेच रहा है
क्रोध से मेरा
तन -मन जल रहा है
किसी तरह मेरा देश चल रहा है .....
चित्र -गूगल से साभार
दंगों की आग में देखो
मुल्क जल रहा है
ऐसे ही नेताजी का घर चल रहा है
उसका विरोध हो रहा है
इनका समर्थन हो रहा है
सत्ता के लिए शतरंज चल रहा है
मंहगाई बढ़ रही है
इसे रोकने के लिए
आयात हो रहा है
निर्यात हो रहा है
बस ,
आदमी बिक रहा है
आदमी बेच रहा है
क्रोध से मेरा
तन -मन जल रहा है
किसी तरह मेरा देश चल रहा है .....
चित्र -गूगल से साभार
मंहगाई बढ़ रही है
ReplyDeleteइसे रोकने के लिए
आयात हो रहा है
निर्यात हो रहा है
बस ,
आदमी बिक रहा है
आदमी बेच रहा है
इस विडंबना का अंत नहीं!
किसी तरह मेरा देश चल रहा है
ReplyDeleteबढिया