कबतक लूटते रहेंगे ये हमें ?
सन 1947 गोरे अँगरेज़ भारत छोड़कर प्रतक्ष रूप से चले गए थे किन्तु वे आज भी अप्रतक्ष रूप से भारत पर आज भी राज कर रहे हैं . तब के अंग्रेज ब्रिट्रेन से थे , आज अंग्रेजों का फैलाब कोई रूपों में हैं . भोपाल गैस हत्या कांड के आरोपी के रूप में , राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सेदारों के रूप में सुरेश कलमाड़ी के साथी बनकर आज भी देश का धन लूटने में लगे हैं. दरअसल गोरे अंग्रेजों के जाने के बाद से ही उनके चमचे और दलाल प्रबृति के देशी काले अंग्रेजों ने देश की सत्ता कब्जाने की होड़ शुरु कर दिया था और आज देश पर उनका पूर्णरूप से कब्ज़ा है . जी भर कर लूट रहे हैं , कोई पूछने वाला नही और यदि पूछा जाता है तो कोई जबाव देही नही . कबतक लूटते रहेंगे ये हमें ? सवाल अनेक हैं किन्तु उत्तर कहाँ मिलेगा यह नही पता हमें . आज घर के दुश्मनों ने ही घर पर अधिकार जमा लिया है. जब हमारे अपने ही हमनें लूटने लगे तो शिकायत किस्से करें हम ? इस साम्राज्यवाद को आप क्या नाम देंगे ? .