ख़ामोशी की मज़बूरी

१६ नवंबर को सर्वच्य न्यायालय ने दूरसंचार घोटाले मामले की सुनवाई करते हुए देश के प्रधानमंत्री से पूछा कि वे इस मामले में १६ महीने तक खामोश किउन रहे ?  मनमोहन सिंह देश के पहले प्रधानमंत्री बन गए  जिनसे न्यायालय ने यह सवाल किया है . यह उनके लिए  शायद गौरव कि बात  है .
प्रश्न यह है कि प्रधानमंत्री बनाने के बाद से सरदार मनमोहन सिंह जी कितनी बार कुछ बोले हैं ?  और जब - जब उन्होंने  कुछ बोला है  वह उनकी अपनी बोली थी क्या ?
 हस्थिनापुर के चक्रवर्ती सम्राट धृतराष्ट्र  इतने मजबूर थे कि अपने कूल वधु  द्रौपदी  के वस्त्र हरण के समय भी चुप रहे . पुत्र प्रेम और सत्ता पर बने रहने की लालसा ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया था . गंगा पुत्र भीष्म इतने मजबूर थे कि न चाहते हुए भी उन्हें हमेशा कपटी कौरवों का साथ देना पड़ा विदुर और धृतराष्ट्र के पिता एक थे किन्तु विदुर की माँ एक दासी थीं . विदुर ने हमेशा विवेकपूर्ण सलाह दिये  किन्तु  सत्ता पर बने रहने के लिए  महाराज ने उन पर  कभी ईमानदारी से अमल नही किया .   
वर्तमान परिपेक्ष में भी हालात वही है .
राम नाम जपने वाली पार्टी के लिए यह एक अच्छा मौका था किन्तु  कर्नाटक में उनके मुख्यमंत्री अपने कारनामों से बाज़ नही आरहे . रोज़ शुर्खियों में रहते हैं .
वर्तमान भारत में न तो भीष्म है और नही  कृष्ण . अब देखना है न्यायालय  कहाँ तक इन लुटेरों को संम्भाल पाती है .  न तो अब तक केन्द्रीय सतर्कतता आयोग और नही आयकर  विभाग ने इस मामले में कोई कार्यवाही की  है .

Comments

  1. YAHI INDIA HAI, YAHA RAGAD KAR PAANI NIKALATE HAI, AAG NAHI. MAMALA KUCHH DINO ME RAFFA-TAFFA HO JAYEGA.KYO KI MAN-MOHAN SU-NIYA HAI.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

तालाब में चुनाव (लघुकथा)

मुर्दों को इंसाफ़ कहाँ मिलता है

रंजना भाटिया जी द्वारा मेरी किताब की समीक्षा