मैं बोका निकला इस बार भी
उठते देखा
ढलते देखा
अपना रुख बदलते देखा
लड़ते देखा
फिर मैदान से भागते देखा
तुम्हें योद्धा कहूँ
या रणछोड़ ..
चलो ....कुछ नही कहना
यहाँ मौजूद हैं
वीरों के वीर
जिनके पास हैं
नैतिकता , ईमानदारी , सत्य के प्रवचन
सिर्फ औरों के लिए
गिरगिट ने पहचान लिया था इन्हें
मुझसे पहले
अच्छा ....अब ठीक है
मैं बोका निकला इस बार भी
ढलते देखा
अपना रुख बदलते देखा
लड़ते देखा
फिर मैदान से भागते देखा
तुम्हें योद्धा कहूँ
या रणछोड़ ..
चलो ....कुछ नही कहना
यहाँ मौजूद हैं
वीरों के वीर
जिनके पास हैं
नैतिकता , ईमानदारी , सत्य के प्रवचन
सिर्फ औरों के लिए
गिरगिट ने पहचान लिया था इन्हें
मुझसे पहले
अच्छा ....अब ठीक है
मैं बोका निकला इस बार भी
अच्छे लोग हमेशा बोका ही रह जाते हैं ………
ReplyDelete