क़ातिल ने कहा वह इंसाफ़ करेगा तुम्हें न्याय देगा क़ातिल जानता है शव न सुनता है न बोलता है मुर्दों को इंसाफ़ कहाँ मिलता है ! क़ातिल मुस्कुराता है वह देखता नहीं अपना चेहरा किसी आईने में |
गाँव में एक बहुत बड़ा तालाब था | उसमें तरह -तरह के जीव रहते थे . उस तालाब में एक बहुत बड़ा मेढक भी रहता था | बहुत ही बड़ा | पूरे तालाब में उसका आतंक था . बड़ी -बड़ी मछलियाँ भी अब उस मेढक से डरने लगी थी . कुछ समय पहले उस बड़े मेढक ने तालाब के जीवों को डराने के लिए अपनी टीम के साथ आतंक मचाया था | तब से उस तालाब में खौफ का मौहल है | किन्तु इस बीच कुछ जलीय जीवों ने यह तय किया कि वे डरकर नही सम्मान के साथ जियेंगे और अन्याय का विरोध करेंगे| तो तालाब में मुखिया के चुनाव के लिए चुनाव कराया गया | मेढक को पूरा विश्वास था कि सबसे ज्यादा जीव उसके समर्थन में मतदान करेंगे | ठीक उसी समय तालाब का सबसे बुजुर्ग कछुआ सामने आया और मेढक के विरुद्ध में खड़ा हो गया | तालाब चुनाव आयोग ने कहा अब निर्णय वजन के हिसाब से लिया जायेगा . मेढक खुश था कि उसके साथ मेढकों की पूरी टीम है और दूसरी तरफ अकेला कछुआ | तराजू मंगवाया गया एक तरफ कछुआ और दूसरी तरफ सभी मेढक | भार मापने के लिए तराजू को ऊपर उठाया गया . ठीक उसी समय किसी ने बाहर से पानी में कुछ चारा फेंका | सभी मेढक एक -एक कर तराजू से कूद गये ! कछुआ का पलड़ा...
नफरतों से पैदा नहीं होगा इन्किलाब लेना-देना नहीं कुछ नफरत का किसी इन्कलाब से नफरत की कोख से कोई इन्कलाब होगा नहीं पैदा मेरे दोस्त ताने, व्यंग्य, लानतें और गालियाँ पत्थर, खंज़र, गोला-बारूद या कत्लो-गारत यही तो हैं फसलें नफरत की खेती की... तुम सोचते हो कि नफरत के कारोबार से जो भीड़ इकट्ठी हो रही है इससे होगी कभी प्रेम की बरसा ? बार-बार लुटकर भी खुश रह सके ये ताकत रहती है प्रेम के हिस्से में नफरत तो तोडती है दिल लूटती है अमन-चैन अवाम का... प्रेम जिसकी दरकार सभी को है इस प्रेम-विरोधी समय में इस अमन-विरोधी समय में इस अपमानजनक समय में नफरत की बातें करके जनांदोलन खड़ा करने का दिवा-स्वप्न देखने वालों को सिर्फ आगाह ही कर सकता है कवि कि कविता जोड़ती है दिलों को और नफरत तोड़ती है रिश्तों के अनुबंध नफरत से भड़कती है बदले की आग इस आग में सब कुछ जल जाना है फिर प्रेम और अमन के पंछी उड़ नहीं पायेंगे नफरत की लपटों और धुंए में कभी भी ये हमारा रास्ता हो नहीं सकता मुद्दतों की पीड़ा सहने की विरासत अपमान, तिरस्कार और मृत्यु की विरासत हमारी ताकत बन सकती है दोस्त इस ताकत के बल पर हम बदल देंगे दृश्य ए...
Comments
Post a Comment