आओ मनाएं ईद हम लगाकर गले एक -दूजे को

आओ मनाएं ईद हम 
लगा के गले 
एक -दूजे को 
दुआ ये करें इस ईद में 
रो न दें चाँद 
फिर न कर बैठें 
हरकत कोई 
कि, मिला न पाए आँख 
एक -दूजे से ....
आओ सजाएं हम मिलकर 
अपने वतन के चमन को इस तरह से
कि, उजड़ न पाए कोई ...........
आओ मनाएं
ईद हम लगाकर गले
एक -दूजे को

Comments

Popular posts from this blog

मुर्दों को इंसाफ़ कहाँ मिलता है

तालाब में चुनाव (लघुकथा)

रंजना भाटिया जी द्वारा मेरी किताब की समीक्षा