नफरतों से पैदा नहीं होगा इन्किलाब लेना-देना नहीं कुछ नफरत का किसी इन्कलाब से नफरत की कोख से कोई इन्कलाब होगा नहीं पैदा मेरे दोस्त ताने, व्यंग्य, लानतें और गालियाँ पत्थर, खंज़र, गोला-बारूद या कत्लो-गारत यही तो हैं फसलें नफरत की खेती की... तुम सोचते हो कि नफरत के कारोबार से जो भीड़ इकट्ठी हो रही है इससे होगी कभी प्रेम की बरसा ? बार-बार लुटकर भी खुश रह सके ये ताकत रहती है प्रेम के हिस्से में नफरत तो तोडती है दिल लूटती है अमन-चैन अवाम का... प्रेम जिसकी दरकार सभी को है इस प्रेम-विरोधी समय में इस अमन-विरोधी समय में इस अपमानजनक समय में नफरत की बातें करके जनांदोलन खड़ा करने का दिवा-स्वप्न देखने वालों को सिर्फ आगाह ही कर सकता है कवि कि कविता जोड़ती है दिलों को और नफरत तोड़ती है रिश्तों के अनुबंध नफरत से भड़कती है बदले की आग इस आग में सब कुछ जल जाना है फिर प्रेम और अमन के पंछी उड़ नहीं पायेंगे नफरत की लपटों और धुंए में कभी भी ये हमारा रास्ता हो नहीं सकता मुद्दतों की पीड़ा सहने की विरासत अपमान, तिरस्कार और मृत्यु की विरासत हमारी ताकत बन सकती है दोस्त इस ताकत के बल पर हम बदल देंगे दृश्य ए...
mera arz fir vahi................padhna chahti hun magar anpadh siddh ho rahi hun! will u plz translate it?????????????
ReplyDeleteबनाऊंगा फिर एक
Deleteसुंदर तस्वीर
चेहरे पर होगी
मोनालिसा मुस्कान
प्रभात सूर्य किरण की तरह
तुम आओगी न
मेरी वो तस्वीर बनने ...?
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लीजिए मैंने कोशिश की है , दरअसल जो भाव मैं बांग्ला में एकबार डे देता हूँ ..उसे किसी और भाषा में अनुवाद करना मुश्किल हो जाता है , मेरी हिंदी कविताओं को भी मैं बांग्ला में अनुवाद करने से डरता हूँ . :) खैर, उम्मीद है आप भाव को समझ पाएंगी .
सादर
mai samajh sakti hun, anuvaad karte samay bhaav aur arth mahatvpurn ho jata hai, jisse kavita ka apna roop badal jata hai aur vo kuchh feekee lagti hai, lekin aapki ye chhoti si kavita hindi me bhi kam khoobsurat nahi lag rahi hai.................yahi hai ek achchhe kavi ki khasiyat!!
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