हरियाली की खोज में



चैत के महीने में
हरियाली की खोज में निकला
फट चूका है
धरती का सीना
कुछ दिलों के दरमियाँ भी
पड़ चुकी हैं दरारें
ऋतु का प्रभाव
अब रिश्तों में है
यहाँ भी सूखा पड़ चूका है |

मैं खोजने निकला
दिलों में हरियाली
पहले देखा खुद का दिल
बहुत तेजी से धड़क रहा था
फिर देखा
सगे-सम्बंधी और यारों का दिल
यहाँ कुछ के दिलों में
मुस्कुरा रहे थे रंग –विरंगे फूल –कलियाँ
कहीं –कहीं असर था
मौसम और प्रदूषण का

फिर गया सत्ता की गलियारों में
यहाँ नही पड़ा था कोई असर
चैत की गर्मी का
सब गुलजार था
यहाँ नही फटी थी धरती ऊपर से
हरी थीं घास
बस , उनपर थीं लहू की छींटे .....

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