वो पुराना मिटटी का घर

আমার গ্রামের
সেই পুরনো মাটির ঘর
আজ ও দাড়িয়ে আছে
ওই ঘরের দেয়ালে লুকিয়ে আছে অনেক -অনেক স্মৃতি
আমাদের বংশের পুরনো ইতিহাস
টিকটিকি, মাকসা আরও অনেক জীব
প্রতিদিন পড়ে আমাদের সেই ইতিহাস

এই ঘর করেছে ভোগ অনেক
ঝড় -বৃষ্টি
তবুও পড়েনি ভেঙ্গে
আজ ও দাড়িয়ে আছে স্মৃতির বল নিয়ে
এক যোদ্ধার মত
ওই বৃদ্ধ ঘর জানে
পড়ে গেলে ভেঙ্গে যাবে
সুখ - দু:খ, কান্না -হাসির সব গল্প
তাই সে দাড়িয়ে আছে আজ ও
কোনো বৃধ্য পর্বতের মত
উঠুনের গাছেরা তাকে বাতাস করে
বৃষ্টি দেয় জল
তাপ দেয় রোদ
পাখিরা সোনায় গান
জ্যোত্স্না দেয় নতুন স্বপ্ন। ........

-নিত্যানন্দ গায়েন


(हिंदी अनुवाद-अनुवादक :- सरोज सिंह)
मेरे गाँव का
वो पुराना मिटटी का घर
आज भी खड़ा है
उस घर की दीवारों पर
छिपी हुई है अनेकोअनेक स्मृतियाँ
और हमारे वंश का पुराना इतिहास

छिपकली,मकड़ी,और भी अनेक जीव
पढ़ते हैं रोज हमारा वही इतिहास
ये घर कई मुश्किलों से गुज़रा है
अंधड़- वर्षा
तब भी ढहा नहीं
आज भी वो खड़ा है स्मृतियों के बल पर
एक योद्धा की तरह !!

वो बूढ़ा घर जानता है
उसके गिरते ही ढह जायेगा
सुख-दुःख, रोना-हँसना ,सारी बातें
इसलिए वो आज भी खड़ा है
किसी वृद्ध पर्वत की तरह

ऊँचे वृक्ष उसे हवा देते हैं
वर्षा देती है जल
धूप देता है ताप
पक्षियाँ गीत सुनाती हैं
ज्योत्स्ना देती है नूतन स्वप्न !!

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

मुर्दों को इंसाफ़ कहाँ मिलता है

तालाब में चुनाव (लघुकथा)

रंजना भाटिया जी द्वारा मेरी किताब की समीक्षा