भाग्य तुम्हारा लिख रहा है दिल्ली में बैठे नेता

भाग्य तुम्हारा क्या बतायेगा
पिंजरे में बंद तोता
भाग्य तुम्हारा लिख रहा है
दिल्ली में बैठे नेता

Comments

  1. जी, हम उलझा दिए गए हैं, भाग्‍य के जाल में और दिल्‍ली में बैठे नियंता हमारा भाग्‍य तय करते रहते हैं....इसी खेल में हमारा जीवन खेल बनकर रह गया है....

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

सजदा, कुछ इस तरह से

दिन की मर्यादा रात ही तो है

धूप पिघल रहा है